Friday, December 11, 2009

हकीकत का आशियाना

फूल मुझे पसंद नहीं,
मै कांटो का दीवाना हू!
मै जलने वाली आग नहीं,
जल जाने वाला परवना हु!
ख्वाब मुझे पसंद नहीं,
मै हकीकत का आशियाना हु!
मै मिटने  वाली हसरत नहीं,
जीने वाला अफसाना हु!
मै थमने वाला वक़्त नहीं,
न छु पाने वाला किनारा हु!
मै रूकने वाली सांस नहीं,
सदा दिल  मे धडकने वाला सहारा हु!...
निगाहे बचाकर जो चलते है हमसे,
कभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी
जो महबूब से अजनबी हो गए है
कभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी.
तुझे खोना भी मुश्कील है,
तुझे पाना भी मुश्कील है.
जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है,
उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकीन,
तेरी खातिर सितारे  तोड़ कर लाना भी मुश्किल है,
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
किस  के दिल में क्या है नज़र आना भी मुश्किल है,
तुझे जिंदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है .

2 comments:

Jitender 'Jeet' said...

नामुमकिन है हकीकत और हकीकत का आशियाना.......
वाह. वाह.. वाह...

थोडी असलियत थोडा अफसाना.....
पर ये तो बता कहां से चुराकर लाया ये खजाना.....

Jitender 'Jeet' said...

नामुमकिन है हकीकत और हकीकत का आशियाना.......
वाह. वाह.. वाह...

थोडी असलियत थोडा अफसाना.....
पर ये तो बता कहां से चुराकर लाया ये खजाना.....