Thursday, September 24, 2009

दर्द की हद से गुज़रना

सफर में धुप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी है भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो,

यहाँ कोई किसी को रास्ता नही देता
मुझे गिरा के तुम संभल सको तो चलो.

--------------------------------------

ढल गया आफताब साकी
ला पिला दे शराब साकी
मैकदा छोड़ कर कहा जाए
है ज़माना ख़राब ए साकी
जाम भर दे गुनाह्गारो के
है ये भी एक सवाब ए साकी


--------------------------


दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाकी है

टूट के मेरा बिखरना तो अभी बाकी है,
पास आकार मेरा दुखदर्द बतानेवाले

मुझसे कतरा के गुज़रना तो अभी बाकी है

------------------------------------


आँखों में रहा दिल में उतर कर नही देखा

कसती के मुसाफिर ने कभी समंदर नही देखा,
बेवक्त अगर जाऊंगा सब चौक पड़ेंगे

मुद्दत हुई दिन में कभी घर नही देखा

No comments: