Thursday, August 20, 2009

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते!
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!

जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा!
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!



दोस्ती इन्सान की ज़रुरत है!

दिलों पर दोस्ती की हुकुमत है!

आपके प्यार की वजह से जिंदा हूँ!

वरना खुदा को भी हमारी ज़रुरत है!


इस से पहले कि दिलो में नफरत जागे!
आओ एक शाम मोहब्बत में बिता दी जाये!

करके कुछ मोहब्बत की बातें!

इस शाम की मस्ती बड़ा दी जाये!


कशिश होनी चाहिए किसी को याद करने की!
लम्हे तो अपने आप मिल जायेंगे!
वक़्त होना चाहिए किसी को मिलने का!
बहाने तो अपने आप मिल जायेंगे!



तेरे बिना जिन्दगी हम जिया नहीं करते!
धोखा किसी को हम दिया नहीं करते!
जाने कैसे तुमसे दोस्ती हो गई!
वरना दोस्ती हम किसी से किया नहीं करते!


देखो मेरी आँखों में ख्बाब किसका है!
देखो मेरे दिल में तूफ़ान किसका है!
तुम कहते हो मेरे दिल के रास्ते से कोई नहीं गुज़रा!
तो फिर यह पैरों के निशान किसके हैं!


हमारे आंसू पोंछ कर वो मुस्कुराते हैं!
इसी अदा से वो दिल को चुराते हैं!
हाथ उनका छू जाये हमारे चेहरे को!
इसी उम्मीद में हम खुद को रुलाते हैं!



दिल तोड़ना सजा है मुहब्बत की!
दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की!
मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत!
और जो बिन मांगे कुर्बान हो जाये वो है दोस्ती!

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