Friday, August 21, 2009

कुछ अनकही


अनकही तो प्यार में दिल की जुबान होती हे ,
सची चाहत तो सदा बेजुबान होती हे ,
प्यार में दर्द भी मिले तो क्या घबराना ,
सुना हे दर्द से चाहत और जावा होती हे
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जाने क्या सोच कर लहरे साहिल से ,
टकरा के लौट जाती हे ,
समझ में नही आता वो किनारे से बेवफाई करती हे ,
या लौट कर समुन्दर से वफ़ा निभाती हे
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मेरे हाथों से गिर गई लकीरे कही ,
भूल आए हम आपनी तकदीरे कही ,
अगर मिले तुमको कही तू उठा लेना ,
मेरे हिस्से की हर खुशी आपने हाथों पे सजा लेना
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प्यासे को एक कतरा पानी काफी हे ,
इश्क में चार पल की जिंदगी काफी हे ,
डूबने को समंदर में जाए कहा ,
आपकी आंखों से टपका वो पानी काफी हे......

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